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Saturday, 22 February 2020

पत्नी से चर्चा करके ही अपना रोल चुनते हैं आयुष्मान खुराना;

पत्नी से चर्चा करके ही अपना रोल चुनते हैं आयुष्मान खुराना; 

कहा- भाग्यशाली हूं कि अचानक सक्सेस नहीं हुआ, रातोंरात मिली सफलता सिर पर चढ़ जाती है

बॉलीवुड में लगातार सुपर हिट फिल्में देने वाले स्टार आयुष्मान खुराना की फिल्म ‘शुभ मंगल ज्यादा सावधान’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। समलैंगिक जोड़े पर बनी यह फिल्म दर्शकों को पसंद आ रही है। अपनी फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने वाले स्टार आयुष्मान खुराना ने भास्कर से खास बातचीत में बताया कि वह पत्नी से चर्चा करके ही अपने लिए रोल चुनते हैं।

 उन्होंने यह भी कहा- "मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे सफलता अचानक नहीं मिली। रातोंरात मिली सफलता लोगों के सिर पर चढ़ जाती है।" प्रस्तुत हैं आयुष्मान से बातचीत के प्रमुख अंश..
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भास्कर: शुभ मंगल ज्यादा सावधान में आप 'गे' का किरदार निभा रहे हैं। इसके लिए क्या-क्‍या तैयारियां की?
आयुष्मान: मैं फिल्‍म में 'होमोसेक्सुअल गे' का किरदार कर रहा हूं। इसके लिए यह समझना जरूरी था कि रोजाना की जिंदगी में उन्‍हें क्‍या दिक्‍कतें आती हैं, उनकी क्या मुश्किलें हैं.. जिसके लिए जरूरी था 'ऑब्जरवेशन' करना। कैसे वो बिहेव करते हैं? समाज को लेकर उनकी सोंच क्या है? ऑब्जरवेशन करना बहुत जरूरी है, जो मैंने किया। इस तरह के लोग हर जगह हैं, कॉरपोरेट सेक्टर में भी हैं.. सिनेमा में भी हैं। उनके लिए स्पेस भी है, लेकिन हर जगह वो खुलकर बता नहीं पाते हैं।

भास्कर: आप अलग-अलग किरदार निभाते हैं। अलग किरदारों के लिए क्या तैयारी करनी होती है?
आयुष्मान: मेरी स्क्रिप्ट मुझसे पहले दो लोग पढ़ते हैं। मेरी वाइफ और मैनेजर। फिर हम लोग आपस में चर्चा करते हैं। मैं प्रोग्रेसिव फैमली से हूं, इसलिए मेरी फैमली को ऐसे रोल करने से कोई दिक़्कत नहीं है।
भास्कर: किस तरह के किरदारों को करने में आयुष्मान को ज्यादा तैयारी करनी होती है?
आयुष्मान: उन मूवी का रोल करने में दिक़्कत आती है, जो मैंने देखा न हो। जैसे अंधाधुंध और आर्टिकल 15 जैसी मूवी को करने के लिए मुझको ज्यादा तैयारी करनी पड़ी थी।

भास्कर: शुभ मंगल ज्यादा सावधान कॉमेडी के जरिये संवेदनशील मुद्दे को ढंग से उठा पाएगी?
आयुष्मान: मेरी फिल्‍म से लोगों में मैसेज जाएगा कि उनको वैसे ही अपनाओ जैसे वे हैं, 'गे' कोई बीमारी नहीं है। कुछ दिन पहले एक लड़के ने सुसाइड कर लिया। क्योंकि उसके घरवालों ने उसको निकाल दिया। जब उनको पता चला कि उनका बेटा 'गे' है। समलैंगिकता को सुप्रीम कोर्ट ने भी इजाजत दे दी है। कॉमेडी के साथ इस फिल्‍म को इसलिए लाया गया है ताकी ज्यादा से ज्यादा लोग इसको देख सकें। इससे पहले कई सीरियस फिल्म इस मुद्दे पर आ चुकी हैं, जो कमर्शियल फ्लॉप रही हैं। अगर फिल्म गंभीर बनाएंगे तो उस मूवी को वही लोग देखेंगे, जो समलैंगिक लोगों के साथ खड़े है। वहीं, उनकी ऑडियंस है। लेकिन, हम अगर ऐसी फिल्म कॉमेडी और कमर्शियल फैक्टर के साथ बनाएंगे तो उसको वो भी देखेंगे जो ऐसे मुद्दों के विरोध में हैं। इस मूवी को लोग एंटरटेनमेंट के लिए देखने आएंगे और एक मैसेज लेकर वापस जाएंगे।

भास्कर: अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी आपकी फिल्म की तारीफ ट्विटर पर की है। उनके लिए क्या संदेश है?
आयुष्मान: अमेरिका के राष्ट्रपति का मेरी फिल्म को लेकर ट्वीट करना मेरे लिए बहुत सरप्राइजिंग था। हालांकि, उन्होंने फिल्‍म देखी नहीं है, लेकिन हम यही आशा करते हैं कि उनके देश में ऐसे समुदाय के लोगों के लिए उनको कुछ करना चाहिए।

भास्कर: फिल्म से जुड़े लोग देश के मुद्दों पर कम बोलते हैं ऐसा क्यों है ?
आयुष्मान: मुझको लगता है हमें आर्टिस्ट और एक्टिविस्ट में फर्क महसूस करना चाहिए। एक आर्टिस्ट अपनी कला के जरिये अपनी बात सामने रख सकता है। अगर मैं एक्टिविस्ट के तौर और कोई मोर्चा खोलूं तो 100 से हजार लोग इक्कठा होंगे। अगर उसी मुद्दे पर मैं आर्टिस्ट के तौर पर फिल्म करूंगा तो उसको करोड़ो लोग देख सकते हैं। इसलिए, आर्टिस्ट की ताकत एक्टिविस्ट से ज्यादा है। किसी मुद्दे पर ट्वीट करने से बेहतर की मैं उस मुद्दे पर फिल्म बनाऊं, जिसको दुनिया देखेगी। मैं फिल्मों के जरिये बोलूंगा। मुझे नारेबाजी करने की जरूरत नहीं है। मैं आर्टिस्ट हूं, आर्ट के जरिये बोलूंगा।

भास्कर: अपनी लाइफ में टाइम मैनेजमेंट कैसे करते हैं आप ?
आयुष्मान: अगर आपका पैशन ही प्रोफ़ेशन बन जाये तो टाइम मैनेजमेंट करना कोई बड़ी बात नहीं। लेकिन, पिछले साल एक के बाद एक मूवी करने में बहुत ही ज़्यादा टाइम मैनेजमेंट शिड्यूल टाइट था। इसके एक के बाद एक फ़िल्म करने में एक से दो महीने का गैप रखने का प्रयास कर रहा हूं। लेकिन, जब परिवार समझता हो आपका प्रोफेशन कैसा है तो कोई दिक्कत नहीं होती हैं।
भास्कर: आपने 'गे' टॉपिक पर फ़िल्म करने के लिए एक बार में हां कर दिया या स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद इस किरदार को निभाने का मन हुआ?

आयुष्मान: मैं एक ऐसी ही फिल्म ढूंढ रहा था, तभी मुझे ऑफर भी आ गया। 2020 में ये फ़िल्म बननी ही चाहिए थी। आज से 10 साल पहले ये फ़िल्म बन ही नहीं सकती थी। 6 से 7 साल में हमारा देश बदल गया है। ऐसे मुद्दों को एक्सेप्ट करने के लिए इस फ़िल्म के आने का करेक्ट टाइम है।

भास्कर: अब तो आप सफलता के चरम पर हैं, हर फिल्म सुपरहिट हो रही है, कैसा लगता है?
आयुष्मान: मुझे अचानक से सक्सेस नहीं मिली है। मुझको धीमे-धीमे सक्सेस मिली और इसको मैं सही भी मानता हूं। क्योंकि, अगर रातोंरात सक्सेस मिलती तो सिर पर चढ़ जाती है। इसलिए मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं। स्ट्रगल तो हमेशा चलता रहता है। कभी नीचे से ऊपर जाने के लिए कभी बने रहने के लिए। 2012 में विकी डोनर मूवी मेरी ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट रही हैं।

पत्नी से चर्चा करके ही अपना रोल चुनते हैं आयुष्मान खुराना;
आयुष्मान की फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान इसी शुक्रवार को रिलीज हुई है।


source https://www.bhaskar.com

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