फिर टला फैसला; वकीलों की हड़ताल के चलते नहीं हुई सुनवाई
30 जनवरी तक केस डायरी करना होगा पेश
कानपुर.कानपुर देहात के बेहमई गांव में 39 साल पहले हुए हत्याकांड पर शुक्रवार को होने वाली सुनवाई वकीलों के हड़ताल के चलते टल गई। इसके चलते एक बार फिर फैसला टल गया। इससे पहले बीते 18 जनवरी को विशेष जज सुधीर कुमार फैसला सुनाने वाले थे, लेकिन मूल केस डायरी उपलब्ध नहीं हो पाई। कोर्ट ने सत्र लिपिक को नोटिस जारी किया था। अगली सुनवाई के लिए 24 जनवरी तय की थी। अदालत ने कर्मचारियों को 30 जनवरी तक केस डायरी पेश करने का निर्देश दिया है।
14 फरवरी 1981 को फूलन ने अपने 35 साथियों के साथ बेहमई के 26 लोगों पर 5 मिनट में सैकड़ों गोलियां बरसाईं थीं। इनमें से 20 की मौत हो गई थी।फूलन ही मुख्य आरोपी थी, लेकिन मौत के बाद उसका नाम हटा दिया गया। इसके बाद 5 आरोपियों श्याम बाबू, भीखा, विश्वनाथ, पोशा और राम सिंह पर केस चलाया गया। इसमें से राम सिंह की 13 फरवरी 2019 को जेल में मौत हो गई। पोशा जेल में है। 3 आरोपी जमानत पर हैं।
लगातार दूसरी बार टला फैसला
छह जनवरी को इस केस में कोर्ट फैसला सुनाने वाली थी, लेकिन बचाव पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट की कुछ नजीरें व लिखित रूलिंग दाखिल करने की बात कहते हुए फैसले की तारीख टालने का अनुरोध किया था। जिस पर कोर्ट ने फैसले के लिए 18 जनवरी की तारीख तय की। उस दिन सुनवाई शुरू हुई तो वादी ठाकुर राजाराम सिंह ने कहा, ''मेरे बयान हुए, घायलों के बयान दर्ज हुए थे, मुकदमा चलता रहा तो केस डायरी गुम कैसे हो गई।''
गवाह जेंटर सिंह ने कहा कि मूल केस डायरी पहले से नहीं थी। केस से जुड़े कई दस्तावेज गुमहैं। विरोधी वकील फाइलों से कागज ले जाते रहे। वे जानबूझ कर फैसले में देरी करा रहे हैं। बचाव पक्ष के वकील गिरीश नारायण दुबे ने कहा कि 2012 और 2013 में केस डायरी की नकल और अन्य दस्तावेज मांगे थे, जो आज तक नहीं दिए गए।
फूलन ने 1983 में आत्मसमर्पण किया था, 2001 में हुई थी हत्या
बेहमई हत्याकांड की मुख्य आरोपी फूलन देवी थी। उसने 1983 में मध्य प्रदेश में आत्मसमर्पण किया था। 1993 में फूलन जेल से बाहर आई। इसके बाद मिर्जापुर लोकसभा सीट से दो बार सपा के टिकट पर सांसद बनी। 2001 में शेर सिंह राणा ने फूलन की दिल्ली में हत्या कर दी थी। इसके बाद फूलन का नाम केस से हटा दिया गया।
source https://www.bhaskar.com
No comments:
Post a Comment