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Saturday, 9 November 2019

धार्मिक पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित हो सकता है शहर, 14 कोसी परिक्रमा के बाहर बन सकती है मस्जिद

धार्मिक पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित हो सकता है शहर, 14 कोसी परिक्रमा के बाहर बन सकती है मस्जिद
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। मंदिर निर्माण के साथ ही अयोध्या देश ही नहीं बल्कि विश्व के लोगों को एक नए रूप में आकर्षित करेगा। ऐसे में अयोध्या बड़े अंतरराष्ट्रीय धार्मिक शहर के रूप में विकसित हो सकता है। मस्जिद को 14 कोसी परिक्रमा के बाहर बनाया जा सकता है। कुसमाहा, जगनपुर और भदरसा गांव पर मस्जिद निर्माण कराया जा सकता है। भास्कर ने 100 स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े रहे विशेषज्ञों नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स से प्रो. डिबोलिना कुंडु और केंद्रीय शहरी विकास विभाग के पूर्व सचिव डॉ. सुधीर कृष्णा से जाना- आखिर अयोध्या को किस तरह विकसित किया जा सकता है। पेश है रिपोर्ट-
बड़े शहरों से नजदीकी बड़ी ताकत
विशेषज्ञों का मानना है कि अयोध्या में बड़े अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्थल के रूप में विकसित होने की क्षमता है, क्योंकि भौगोलिक परिस्थिति और बड़े शहरों से नजदीक होना इसकी बड़ी ताकत है। अयोध्या में रामलला अभी तंबू के अस्थायी मंदिर में हैं, सुविधाएं भी नहीं हैं, तब भी वर्ष 2018-19 के दौरान करीब 1.5 लाख श्रद्धालु बाहर से आए। विशेषज्ञों का मानना है कि अयोध्या को अगर सही प्रकार से विकसित कर दिया जाए तो शुरुआती दौर में ही पर्यटकों या श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिदिन पचास हजार तक पहुंच सकती है। वैष्णो देवी और तिरुपति की तर्ज पर अयोध्या एक बड़े धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हो सकता है। इससे यहां और आसपास की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सकती है।
अयोध्या की ब्रांडिंग पर करना होगा फोकस
विशेषज्ञ कहते हैं कि संसाधन जुटाने के साथ ही दुनियाभर में अयोध्या की ब्रांडिंग पर भी फोकस करना होगा। उत्तरप्रदेश सरकार को अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर के होटल और रेस्त्रां चेन खुलवाने के लिए एमओयू करने चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन की आधुनिक सुविधाएं जुटाने के साथ ही विश्वस्तरीय ढांचागत सुविधाओं का विकास करना होगा। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि 79.8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बसी और करीब एक लाख की आबादी वाली अयोध्या हिंदुओं के लिए ही नहीं बल्कि बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। यहां रामचरित मानस के सात खंडों की तर्ज पर संग्रहालय भी बनाया जाना चाहिए। इसमें ईसा पूर्व कोशल महाजनपद, कुषाण से लेकर वर्तमान तक का चित्रण हो।
अमृत योजना से भी अयोध्या को जोड़ना चाहिए
देश के धार्मिक महत्व के शहरों के लिए चल रही हृदय योजना और शहरी बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने के लिए अमृत योजना से भी अयोध्या को जोड़ना चाहिए, ताकि शहर में नल जल सप्लाई, सेनिटेशन, सीवर, कचरा प्रबंधन, अप्रोच रोड्स, फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, स्ट्रीट लाइट्स आदि का उचित प्रबंध किया जाए। साथ ही नगर का ऐतिहासिक महत्व बना रहे इसलिए ऐतिहासिक महत्व के गलियों, मठों, मंदिर और इमारतों का संरक्षण किया जाना चाहिए। जैसा कि जापान के क्योटो शहर का किया गया। इसी तरह आधुनिकता के साथ अयोध्या का ऐतिहासिक महत्व बरकरार रह पाएगा।
14 कोसी परिक्रमा क्षेत्र के बाहर बन सकती है मस्जिद
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मस्जिद कहां बने? इस सवाल पर मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने कहा कि यह सरकार तय करें। इस बारे में मैं कुछ नहीं बोलूंगा। कोर्ट का फैसला आ गया, मुझे अपील भी नहीं करनी है। अयोध्या में 14 कोसी परिक्रमा मार्ग के बाहर मस्जिद बनाने के निर्देश के बाद सबसे पहले जिस स्थान का नाम सामने आ रहा है, वह कुसमाहा गांव है, जो दर्शननगर में है। हालांकि यह परिक्रमा क्षेत्र के थोड़ा अंदर है। मान्यता है कि इसी गांव में मीर बाकी की मजार है। अन्य जिन स्थानों की चर्चा है, उनमें चिर्रा जगनपुर और भदरसा के इर्द-गिर्द का क्षेत्र है।
नए मंदिर का बजट कहीं ज्यादा होगा
त्रिलोकीनाथ पांडेय कहते हैं कि अभी तक राम मंदिर का जो मॉडल तैयार था और जिसके आधार पर पत्थर तराशे गए हैं, उनमें कोई कमी नहीं है। पर अब अयोध्यावासियों का मानना है कि यह मॉडल जिस समय बना था, तबसे अब दुनिया बहुत बदली है। सरकार ने काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए कॉरिडोर बनाने के लिए ही सिर्फ 700 करोड़ का बजट रखा है, योगी सरकार सरयू में 400 करोड़ रुपए की लागत से दुनिया की सबसे ऊंची राम प्रतिमा बना रही है। इसके मुकाबले विहिप के राम मंदिर के प्रोजेक्ट निर्माण का खर्च 140 करोड़ है, जो बेहद मामूली है।
भविष्य की अयोध्या ऐसी हो सकती है
  • सरयू में क्रूज:अयोध्या से बहने वाली सरयू नदी को पूर्णरूप से साफ करना, काशी की तर्ज पर भव्य घाटों का निर्माण और साथ ही नाव, स्टीमर और क्रूज नदी में चलाए जाने चाहिए। इससे लोगों को रोजगार और सरकार को राजस्व मिलेगा।
  • इंटरनेशनल एयरपोर्ट:क्योंकि अयोध्या का सीधा ऐतिहासिक जुड़ाव नेपाल, दक्षिण कोरिया, थाईलंैंड और इंडोनेशिया आदि जैसे देशों से भी है। इसलिए अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाया जाए। 2014 में एयरपोर्ट पर एमओयू हुआ था लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ।
  • नया मास्टर प्लान:सरयू किनारे 221 मीटर ऊंची भगवान राम की प्रस्तावित प्रतिमा का निर्माण शुरू होने के बाद मास्टर प्लान फिर से बनाया जाए। जिससे लोगों को अधिक रोजगार, नए बाजार, पार्क, चौड़ी सड़कें आदि मिल सकें।
  • आधुनिकस्टेशन-बस स्टैंड:अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं वाले रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड का निर्माण। एसी बसें और तेजस, शताब्दी की सुविधाओं वाली रेलों को अयोध्या से जोड़ा जाना चाहिए। इससे यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
  • पांच प्रमुख शहरों का धार्मिक सर्किट:अयोध्या से लखनऊ, गोरखपुर, प्रयागराज और बनारस करीब 200 किलोमीटर के दायरे में हैं और ये शहर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। सरकार इन पांचों शहरों को जोड़कर एक सर्किट बनाए। देश की राजधानी दिल्ली से भी अयोध्या 700 किलोमीटर ही दूर है। ऐसे में दिल्ली से अयोध्या को भी एक्सप्रेस वे से जोड़ा जा सकता है।

अभी देश के सबसे बड़े धार्मिक स्थल
धार्मिक स्थल सालाना श्रद्धालु सालाना आय
तिरुपति बालाजी 2.5 करोड़ 3100 करोड़ रुपए
वैष्णो देवी 90 लाख 418 करोड़ रुपए
शिर्डी सांई मंदिर 1.80 करोड़ 550 करोड़ रुपए
स्वर्ण मंदिर 3.65 करोड़ 80 करोड़ रुपए
सिद्धि विनायक 91 लाख 90-100 करोड़ रुपए
(सहयोगी- डॉ. अरविंद पांडे, एनआईयूए)





source https://www.bhaskar.com

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