
गोरखपुर/ प्रयागराज. जिले में वाटर पार्क नीर निकुंज में स्थित विवाह घर को सील किए जाने के मामले में पार्क के साझेदारों को इलाहाबाद हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली। कमिश्नर की ओर से अपील खारिज किए जाने के खिलाफ साझेदारों की तरफ से दाखिल याचिका को कोर्ट ने सुनवाई योग्य नहीं पाया। इसके बाद याचिका खारिज न हो इसलिए साझेदारों के अधिवक्ता ने अनुरोध कर खुद ही याचिका वापस ले ली। अब वाटर पार्क के साझेदार सक्षम प्राधिकारी यानी कमिश्नर या शासन में अपनी बात रख सकेंगे।
जीडीए की तरफ से पार्क में स्थित विवाह घर को सील किए जाने के बाद साझेदारों ने कमिश्नर कोर्ट में अपील दाखिल की थी। पांच अक्तूबर 2019 को सुनवाई के दौरान कमिश्नर ने जीडीए की कार्रवाई को सही बताते हुए साझेदारों की अपील खारिज कर दी थी।
कमिश्नर के फैसले के खिलाफ कोर्ट गए थे
कमिश्नर के इस फैसले के खिलाफ ही साझेदारों ने 292 पन्नों में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। प्राधिकरण के मुताबिक इस याचिका में साझेदारों ने सचिव राम सिंह गौतम पर भी कई गंभीर आरोप लगाए थे।
सील तोड़ने पर दर्ज हो चुकी है साझेदारों पर एफआईआर
विवाह घर सील होने के बाद भी उसे संचालित करने पर प्राधिकरण ने वाटर पार्क के साझेदारों के खिलाफ मार्च 2019 में मुकदमा दर्ज करा रखा है। हालांकि साझेदारों की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर कोर्ट ने अभी उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई है। साथ ही कोर्ट ने जीडीए को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। प्राधिकरण का अभी इस मामले में अपना पक्ष रखना बाकी है।
अनुबंध शर्तों केउल्लंघन का आरोप
जीडीए के मुताबिक 28 अक्तूबर 2005 को पार्क को लेकर जीडीए से हुई अनुबंध की शर्तों का साझेदारों ने उल्लंघन किया है। पार्क जीडीए की संपत्ति है। इसका संचालन करने वालों का अस्तित्व सिर्फ कस्टोडियन के रूप में है। करार का उद्देश्य पार्क का समुचित रखरखाव, वाटर पार्क एवं एन्वायरमेंटल पार्क को विकसित करना था। मगर अनुबंध की शर्तें तोड़कर वहां विवाह घर संचालित किया जा रहा था। इसपर 22 फ रवरी को सीलबंदी की कार्रवाई की गई।
जीडीए के सचिव राम सिंह गौतम ने कहा कि सीलबंदी को लेकर कमिश्नर कोर्ट से हुए फैसले के खिलाफ पार्क के साझेदारों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। 24 अक्तूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं पाया। अनुरोध कर उनके अधिवक्ता ने खुद ही याचिका वापस ले ली। अब वे कमिश्नर या शासन के समक्ष अपनी बात रख सकते है
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