जैव उर्वरक [Bio-Fertilizers]
किसानों को उर्वरकों की जानकारी देने के लिए ये आर्टिकल पब्लिश कर रहा हूँ जिससे किसान रासायनिक तथा जैव उर्वरकों के बारे में जान सकें I जैव उर्वरक रासायनिक खाद का स्थान नहीं लेते बल्कि रासायनिक खादों के उपयोग को कम करदेते हैं I क्योंकि जैव उर्वरक प्राकृतिक तरीके से फसलों को फायदा पहुंचाते हैं I
जैव उर्वरक क्या हैं
प्राकृतिक रूप से खेत की मिटटी में कुछ सूक्ष्म जीवाणु होते हैं जो पेड़-पौधों तथा फसल को जमींन के अन्दर के पौषक तत्वों को अवशोषित करने में सहायक होते हैं I यानीकि ये जीवाणु फसल के लिए उर्वरक का कार्य करते हैं I इन्हीं को बायो फर्टिलाइजर कहते हैं
यदि जमींन के अन्दर ऐसे जीवाणुओं की संख्या बढ़ादी जाय तो फसलों की पैदावार को बढाया जा सकता है साथ ही फलों, सब्जिओं तथा अनाज की क्वालिटी को भी सुधारा जा सकता है I
कृषि वैज्ञानिकों ने पाया कि जमींन के अन्दर कई तरह के जीवाणु मौजूद हैं जो अलग-अलग तरह के तत्वों को वातावरण से लेकर जमींन में संचय करके पौधों को उपलब्ध कराते हैं I जैसे कुछ जीवाणु मिटटी की परतों से फास्फेट का निर्माण करते हैं तो कुछ जीवाणु वातावरण से नाइट्रोजन लेते हैं और जमींन में संचय करते हैं जो पौधों को मिलती है I
कुछ ऐसे जीवाणु होते हैं जो अलग-अलग फसलों को फायदा पहुंचाते हैं जैसे अनाजों, सव्जिओं और फलों की फसलों, एवं धान की फसल में फायदा पहुंचाने वाले जीवाणुओं की खोज वैज्ञानिकों ने की है I इसके साथ ही प्रयोगशाला में इन वैक्टीरिया [जीवाणुओं] को संवर्धित भी किया जाता है I
इसके साथ ही प्रयोगशाला से बाहर किसानों के बीच इन जीवाणुओं की संख्या को कैसे गुणात्मक रूप से बढाया जाय, इसपर भी हमारे कृषि वैज्ञानिक बहुत कार्य कर रहे हैं I
मै सूक्षम जीवाणुओं के बारे में बता रहा था कि ये फसलों को कैसे फायदा देते हैं I
इन जीवाणुओं का प्रयोगशाला में सम्वर्धन करके bio-fertilizer बनाये गए हैं तथा किसानों को स्तेमाल के लिए शिक्षित भी किया जाता है I
इन उर्वरकों को बीज के साथ [बीज को उपचारित करके] भी उपयोग किया जाता है जिससे ये फसलों को जमींन से पोषक उपलब्ध कराते हैं I जिससे 25% तक कि ब्रद्धि पैदावार में देखने को मिली है I
जैव उर्वरकों [bio fertilizers] के प्रकार
सूक्ष्म जीवाणुओं के किस्म के आधार पर जैव उर्वरकों का वर्गीकरण किया गया है I
1. बैक्टीरिया वाले बायोफ़र्टिलाइज़र: जैसे - राइजोबियम, एज़ोस्पिरिलियम, एज़ोटोबैक्टर, फॉस्फोबैक्टीरिया
2. एक्टिनीमाइसेट्स बायोफर्टिलाइज़र: जैसे - Frankia
3. फंगस वाले बायोफ़र्टिलाइज़र: जैसे – Mycorhiza
4. अलगल बायोफर्टिलाइजर्स: जैसे - ब्लू ग्रीन शैवाल (BGA) और अज़ोला
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Rhizobium – ये दलहन फसलों में जैसे दाल, मूंगफली, सोयाबीन आदि में बहुत फायदा पहुंचाता है I मिट्टी में अवशिष्ट एन छोड़ देता है।
Azotobactre- इसको सूखी भूमि फसलों सहित गैर-फलियां फसलों के लिए उपयोगी पाया गया है ये भी मिटटी में नाइट्रोजन अवशिष्ट छोड़ देता है I
Azospirillum-(अजोस्पिरिलम)- गैर-फलियां जैसे मक्का, जौ, जई, शर्बत, बाजरा, गन्ना, चावल आदि फसलों के लिए बहुत उपयोगी है I विकास को बढ़ावा देने वाले पदार्थों का उत्पादन करता है। इसे सह-इनोकुलेंट के रूप में फलियां पर लागू किया जा सकता है
Phosphate Solubilizers (फॉस्फेट सोलूबिलाइजर्स)- (इस समूह में 2 जीवाणु और 2 फंगल प्रजातियां हैं) इनको सभी फसलों के लिए मिट्टी में मिलाया जाता है I इसको रॉक फॉस्फेट के साथ मिलाया जा सकता है।
Blue-green algai and Azolla (नीला-हरा शैवाल और अज़ोला) – इसको चावल / गीली भूमि के लिए बहुत उपयोगी पाया गया है I 20 -30 किलोग्राम नाइट्रोजन / हेक्टेयर, अज़ोला 40-50 टन तक बायोमास दे सकती है और 30-100 किलोग्राम नाइट्रोजन / हेक्टेयर मिट्टी क्षारीयता को ठीक कर सकती है, मछली के लिए फ़ीड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उनके पास हार्मोनल प्रभावों को बढ़ावा देने वाले विकास हैं।
Microhizae (VAM)- ये कई पेड़, कुछ फसलें, और कुछ सजावटी पौधे 30-50% उपज में वृद्धि करते हैं, फोस्फोरस, जिंक, सल्फर और पानी के तेज को बढ़ाते हैं। आमतौर पर रोपाई के लिए टीका लगाया जाता है।
फसलों में जैव उर्वरक के क्या उपयोग हैं I?
1. राइजोबियम + फॉस्फोटिका 200 ग्राम प्रति 10 किलोग्राम बीज के हिसाब से बीज उपचार की सलाह दी जाती है, जैसे कि मटर, हरा चना, काला चना, ग्वार, आदि, मूंगफली और सोयाबीन।
2. धान कि पौध लगाने से पहले पौध कि जड़ों को करीब 10 घंटे तक अजोस्प्रीलम + फास्फोटिका के घोल में 5 kg/ हेक्टेयर कि दर से डुबोकर रखना है I
जैव उर्वरक से बीज उपचार कैसे करें I
इस दवा के 200 ग्राम के पैकेट को 200 ग्राम गुड़ के घोल में मिलाकर एक हेक्टेयर में लगने वाले बीज को इस घोल में अच्छी तरह मिलाया जाता है उसके बाद इस बीज को आधे घंटे के लिए छाया में सुखाया जाता है I यह उपचारित बीज है इसको 24 घटे के अन्दर उपयोग में ले लेना चाहिए I इस टीके के 200 ग्राम के एक पैकेट को 10 किलोग्राम बीज के उपचार के लिए स्तेमाल कर सकते हैं I राइजोबियम, एजोस्पिरिलम, एजोटोबेक्टीरिया तथा फास्फोबेक्टीरिया को इसी प्रकार से बीज उपचार के लिए उपयोग किया जाता है I
पौध को कैसे उपचारित करें I
रोपाई वाली फसलों की पौध को उपचारित करने के लिए दवा ( टीके ) के 200 ग्राम के 5 पैकेट यानी 1 किलो दवा को 40 लीटर पानी में मिलाकर, पौध की जड़ों को करीब 10 मिनट तक इस घोल में डुबाया जाता है फिर रोपाई की जाती है I एजोस्पिरिलम का उपयोग खास तौर पर धान की पौध कि जड़ों के उपचार के लिए किया जाता है I
मिटटी का उपचार कैसे करें I
फसल के लिए उपयुक्त किसी भी बायो फ़र्टिलाइज़र में से हर एक में से 4 kg को 200 kg खाद के साथ मिलाया जाता है I इस को रात भर रखकर बुबाई या पौध रोपण के समय खेत में मिलादिया जाता है I
किसानों के लिए सलाह
1.बायो फ़र्टिलाइज़र की पैकेट्स को धूप तथा गर्मी से बचाकर रखें I किसी सूखी व् ठंडी जगह पर रखें I
2.बीज उपचार के लिए कोई चिपकने वाला पदार्थ का स्तेमाल अवश्य करें I
3.जैव उर्वरक के सही संयोजन का प्रयोग करें I
4.किसी रासायनिक खाद को जैव उर्वरक के साथ नहीं मिलाना चाहिए I
5.बायो फ़र्टिलाइज़र को एक्सपायरी डेट से पहले स्तेमाल करें I
किसान लोग इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखेंगे तो बायो फ़र्टिलाइज़र के स्तेमाल से अच्छा उत्पादन ले सकते हैं साथ ही रासायनिक खादों के स्तेमाल को भी कम कर सकते हैं I
इस लेख को ध्यान से पढ़ें समझें, तथा अपने विचार, सुझाव कमेन्ट में लिखकर अवश्य दें I
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