कांड से 15 दिन पहले विनय का फलदान,
बिलखते हुए चाची बोली-जब दुनिया ही पीछे पड़ गई तो कैसे बचता हमारा बेटा
प्रदेश के बस्तीजिला मुख्यालय से35 किमी. दूर रुधौली थाना क्षेत्र में निर्भया के दोषी विनय शर्मा का गांव है। दैनिक भास्कर की टीम ने गांव पहुंच कर यहां रह रहे विनय के चाचा-चाची से मुलाकात की।बातचीत में पता चला कि 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया कांड से 15 दिन पहले विनय गांव आया था। जहां उसका फलदान हुआ था और जल्द ही उसकी शादी होने वाली थी। लेकिन निर्भयाकांड के बाद परिवार ने लड़की के घर वालों से माफी मांग ली और दूसरी जगह शादी करने के लिए कह दिया था।
निर्भया कांड के 7 साल बाद विनय के गांव का पता भास्कर ने ही लगाया है। इससे पहले गांव में कभी विनय के नाम पर कोई मीडिया पहुंची न ही पुलिस पहुंची। लेकिन गांव वालों ने हाथ जोड़कर कहा- गांव केनाम का खुलासा न हो, वरना यहां के नौजवानों का भविष्य खराब हो जाएगा। इसलिए हम गांव के नामका उल्लेख नहीं कर रहे हैं।
तिहाड़ जेल अधिकारियों ने बताया, निर्भया के दोषियों में मुकेश ने अंगदान की इच्छा जताई थी, विनय ने पेंटिंग ऑफर की
चाची कासवाल- क्या अब रेप के मामलों में सभी को होगी फांसी?
भास्कर की टीम जब विनय के गांव में घर पर पहुंची तो बरामदे में पड़े तख्त पर चाचा और कमरे के देहरी पर चाची बैठी दिखीं। विनय का नाम लेते ही वह फफक कर रो पड़ी। उनकी आंखों से लगातार आंसू गिरते रहे और वह यही कहती रहीं कि पूरी दुनिया हमारे बेटे के पीछे पड़ गयी तो कैसे बचता?उन्होंने कहा सबको लग रहा है कि इस फांसी से कुछ बदल जाएगा तो ऐसा नही है। उन्होंने कहा- क्या अब जो रेप होंगे उनमें भी कोर्ट फांसी की ही सजा देगी? अगर ऐसा होता है तो फैसला ठीक है। नहीं तो गलत है। चाची ने कहा कि हमारे परिवार ने तो लड़की के घरवालों से माफी मांग ली थी। बच्चा था, इतनी कड़ी सजा नहीं देनी चाहिए थी।
विनय ने इंटर तक गांव में की पढ़ाई
चाचा मायाराम ने बताया कि हम तीन भाई हैं। विनय के पिता हरिराम बहुत पहले ही दिल्ली जाकर बस गए थे। वहां गुब्बारा बेचने का काम करते हैं। जबकि विनय की पैदाइश तो दिल्ली की है, लेकिन गांव में रहकर उसने इंटर तक की पढ़ाई की है। निर्भया कांड से पहले उसने मिलिट्री का फॉर्म भी डाला था। चाचा ने बताया कि विनय के परिवार में अब माता पिता एक बेटा और दो बेटियां बची हैं।सदमे में बाबा की गई थी जान, परिवार में टीवी भी नहीं
चाचा ने बताया कि हमारे घर में टीवी नहीं है। सुबह 4 बजे से ही दूसरे के घर में टीवी देख रहे थे। तब पता चला कि फांसी हो गयी। उन्होंने कहा यह गलत हुआ। उसे आजीवन कारावास की सजा दे दी जाती। ज्यादा अच्छा रहता।अब तो घर बार सब लूट गया लेकिन जान भी नहीं बची। चाचा ने बताया कि इसी दुख में विनय के बाबा भी गुजर गए। याद करते हुए कहते हैं कि कांड के बाद जब विनय जेल में रह तो उसके साल छह महीने बाद मैं पिता जी के साथ उससे जेल में मिलने गया था। वह बस रो रहा था। उसे पछतावा हो रहा था।
मेरे बाबूजी से यह सब सहन नहीं हुआ और उसके कुछ दिन बाद ही वह चल बसे। चाचा कहते हैं कि विनय को जबरन फंसाया गया। अगर वह गलत होता तो वह हाजिर क्यों होता? भाग जाता।
हमने उसे बड़ा होता देखा, आज उसकी मौत पर हमें दुख
एक बुजुर्ग महिला कहती है कि विनय जब गांव में रहता था तो सबकी इज्जत करता था। सब उसे पसंद भी करते थे। बूढ़े बुजुर्ग या जरूरतमंदों की मदद भी करता था। लेकिन गलत संगत में पड़ गया। उन्होंने कहा गांव का लड़का है अपने सामने बड़े होते देखा तो मरने पर दुख तो होता ही है।गांव का नाम आया तो युवाओं का होगा भविष्य खराब
वहीं 7 सालों तक मीडिया को विनय के गांव की भनक क्यों नही लगी? इस पर गांव के युवा कहते हैं कि जब मुकदमा हुआ तो विनय के पिता ने दिल्ली का पता दिया। जिससे गांव का नाम सामने कभी नहीं आ पाया। युवाओं की चिंता है कि गांव का नाम सामने आने से यहां के जो मेधावी युवा है उनका भविष्य खराब हो सकता हैsource https://www.bhaskar.com
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