"समझ नहीं आता पापा मेरी मूवी देखकर भावुक क्यों हो जाते हैं: मेघना गुलजार
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एसिड अटैक पर फिल्म निर्माण करने वाली मेघना गुलजार ने भास्कर से फिल्म 'छपाक' से जुड़े एक्सपीरियंस शेयर किए। साथ ही पिता और दिग्गज लेखक गुलजार साहब के साथ अपनी बॉन्डिंग पर भी बात की। फिलहाल मेघना फिल्म के प्रमोशन में व्यस्त हैं।फिल्म 'छपाक' में मुख्य भूमिका निभा रही हैं दीपिका पादुकोण।
उन्होंने बताया कि 'मे रे पापा (गुलजार साहब) ने मेरी बनाई मूवी 'छपाक' का रफ कट देखा है। फिनिश नहीं देखी है। वो इसे देखकर इमोशनल हो गए। अक्सर हो जाते हैं। आजतक ये मुझे भी समझ नहीं आया, कि बेटी की मूवी है इसलिए भावुक होते हैं या सब्जेक्ट देखकर। अक्सर उनसे इसका जवाब मांगती हूं, ऐसा क्यों होता है? वे कहते हैं, दोनों ही बातें हैं और इसका मुझे हक है।'
मेघना के अनुसार अटैक ज्यादा होते हैं, चर्चा कम: पिछले तीन वर्षों से दिल्ली में एसिड अटैक पीडितों से मिलती रही हूं। ऐसा सिर्फ मूवी के लिए नहीं, बल्कि उनको जानने के लिए भी किया। सबके अनुभव जानने का मौका मिला है, जो मेरे लिए जरूरी है। वहां हर लड़की की अपनी एक कहानी है। लोगों के जेहन में ये सब्जेक्ट उतना नहीं है, जितना होना चाहिए। फिल्म के टाइटल को लेकर उन्होंने बताया किफिल्म के टाइटल के पीछे मैं ही हूं, मेरे पिता नहीं हैं। पहले दो टाइटल गंधक और छपाक जहन में आए थे। बाद में "छपाक' फाइनल हुआ।
(जयपुर में विजय सिंह को बताया)
source https://www.bhaskar.com
उन्होंने बताया कि 'मे रे पापा (गुलजार साहब) ने मेरी बनाई मूवी 'छपाक' का रफ कट देखा है। फिनिश नहीं देखी है। वो इसे देखकर इमोशनल हो गए। अक्सर हो जाते हैं। आजतक ये मुझे भी समझ नहीं आया, कि बेटी की मूवी है इसलिए भावुक होते हैं या सब्जेक्ट देखकर। अक्सर उनसे इसका जवाब मांगती हूं, ऐसा क्यों होता है? वे कहते हैं, दोनों ही बातें हैं और इसका मुझे हक है।'
मेघना के अनुसार अटैक ज्यादा होते हैं, चर्चा कम: पिछले तीन वर्षों से दिल्ली में एसिड अटैक पीडितों से मिलती रही हूं। ऐसा सिर्फ मूवी के लिए नहीं, बल्कि उनको जानने के लिए भी किया। सबके अनुभव जानने का मौका मिला है, जो मेरे लिए जरूरी है। वहां हर लड़की की अपनी एक कहानी है। लोगों के जेहन में ये सब्जेक्ट उतना नहीं है, जितना होना चाहिए। फिल्म के टाइटल को लेकर उन्होंने बताया किफिल्म के टाइटल के पीछे मैं ही हूं, मेरे पिता नहीं हैं। पहले दो टाइटल गंधक और छपाक जहन में आए थे। बाद में "छपाक' फाइनल हुआ।
(जयपुर में विजय सिंह को बताया)
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