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Sunday, 10 November 2019

बाबरी विध्वंस केस में अप्रैल 2020 तक आ सकता है फैसला, अब तक 337 साक्ष्य हुए पेश


बाबरी विध्वंस केस में अप्रैल 2020 तक आ सकता है फैसला, अब तक 337 साक्ष्य हुए पेश







लखनऊ. देश के सबसे पुराने श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुकदमे पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को फैसला सुनाया। अदालत ने विवादित जमीन जहां रामलला विराजमान को सौंप दी, वहीं मस्जिद के लिए अयोध्या के किसी प्रमुख जगह पर पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया। इस दौरान अदालत ने छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाए जाने को कानून का उलंघन करार दिया। यह मामला लखनऊ की विशेष अदालत में चल रहा है, जिस पर 2020 तक फैसला आ सकता है। इस केस में दिसंबर अंत तक परीक्षण की कार्रवाई पूरी हो सकती है।
इस केस में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी , कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 लोगों के खिलाफ सीबीआई अपने अभियोजन के गवाहों को पेश कर रही है। इस समय कल्याण के खिलाफ गवाहों को पेश किया जा रहा है। अब तक सीबीआई लगभग 337 अभियोजन साक्ष्यों को पेश कर चुकी है।
  1. 19 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई दिन प्रतिदिन करने का निर्देश दिया था। सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि, दो साल में परीक्षण की कार्यवाही पूरी कर ली जाए, लेकिन सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। इसके बाद विशेष अदालत की अर्जी पर 19 जुलाई 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने केस में फैसला सुनाने के लिए नौ माह का और वक्त दे दिया। यह भी कहा कि, छह माह के भीतर सभी गवाहों को पेश करने की कार्यवाही पूरी कर ली जाए।
  2. 1992 में घटी घटना के बाद थाना रामजन्म भूमि पर मुकदमें दर्ज हुए थे, जिनकी विवेचना बाद में सीबीआई ने की। आरोपत्र आने के बाद कुल 48 लोगों पर आरोप तय हुए। इनमें से अब केवल 32 लोग जीवित बचे हैं। इस केस में आरोपित रहे शिव सेना प्रमुख बाबा साहेब ठाकरे, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ, विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया एवं रामजन्म भूमि न्यास के महंत श्रीरामचंद्र दास परमहंस सहित कुल 16 लोग दिवंगत हो चुके हैं।


      source- Dainik Bhaskar.com
      प्रतीकात्मक।

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