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Sunday, 10 November 2019

गंगा-जमुनी तहजीब की चासनी में डूबी काशी-मथुरा; भोले के डमरू और कान्हा की वंशी से प्रेम रस की बारिश

राणसी/मथुरा. देश के सबसे पुराने श्रीराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपना फैसला सुनाया। अयोध्या आंदोलन के समय राजनैतिक परिदृश्य में एक नारा- अयोध्या तो झांकी है, मथुरा-काशी बाकी है, खूब गूंजा था। हालांकि, यह बातें अब बीते जमाने की हो चुकी है। अयोध्या विवाद पर हुए निर्णय के बाद रविवार को पहली सुबह काशी व मथुरा में वैसी ही रही, जैसी आम दिनों में रहती है। बनारस में काशी विश्वनाथ मंदिर के पास बारावफात के जुलूस में फंसे एंबुलेंस को मुस्लिम युवकों ने रास्ता देकर आगे बढ़ाया तो लीलाधर की नगरी मथुरा में कान्हा की बंसी से अमन के सुर ही निकलते सुनाई दिए।

काशी विश्वनाथ मंदिर
रविवार होने के नाते काशी विश्वनाथ मंदिर की गली में अधिकांश दुकानें बंद हैं। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या विवाद पर फैसला आने के बाद यहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। हालांकि, आम दिनों की तरह श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। लोगों को चेक कर मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। गली में ही अपनी दुकान पर बैठे बर्तन व्यवसायी अनुज माहेश्वरी कहते हैं कि, अयोध्या के बाद काशी को लेकर कुछ लोग चर्चा कर रहे हैं, जो गलत है। अयोध्या विवाद अलग है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी को लेकर सौहार्द है। हालांकि, उन्होंने इस बात की संभावना जरूरजताई कि, भगवान राम और महादेव का धाम आने वाले समय में और दिव्य होगा।
काल भैरव मंदिर
रविवार को आम तौर पर काल भैरव मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा रहती है। काल भैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता है। यहां काशी विश्वनाथ के दर्शन के लिए पहुंचने वाले श्रद्धालु काल भैरव मंदिर भी पहुंच रहे हैं। कुछ को छोड़कर ज्यादातर दुकानें खुली हैं। फूल माला, प्रसाद, साड़ियों, मंडी जैसे खुलती है, वैसे ही खुली है। हालांकि, सुरक्षा के लिहाज से यहां भी अर्द्धसैनिक बल मुस्तैद है।
गंगा घाट
कार्तिक मास में गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। रविवार को प्रदोष होने के कारण कार्तिक मास का व्रत और स्नान करने वाले श्रद्धालु गंगा के विभिन्न घाटों पर पहुंचे। हालांकि अन्य जिलों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या जरूर कम थी। तमाम लोगों ने गंगा घाट पर स्नान करके पूजा-अर्चना की।
श्रद्धालु-अलमदार चल रहे थे साथ-साथ
बांसफाटक के पास सुरेश कचौड़ी वाले की दुकान है। रोज की तरह यहां बनारसी कचौड़ी का स्वाद लेने के लिए लोग पहुंचे हैं। सुरेश यहां से निकल रहे बारावफात के जुलूस की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं कि, गंगा-जमुनी तहजीब का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा कि बारावफात का जुलस निकल रहा है और विश्ववनाथ जी के हजारों भक्त आराम से लाइन में दर्शन कर रहे हैं। उनकी जुबां पर अल्लाह की इबादत है तो हाथों में तिरंगा है।
बारावफात में दिखा देशभक्ति का जज्बा
बारावफात जुलूस में शामिल रजुद्दीन कहते हैं कि, बारावफात का जुलूस मदनपुरा से निकलकर विश्वनाथ मंदिर होते हुए बेनिया पर खत्म होगा। वहीं, नमाज अता की जाएगी। सभी मुस्लिमों में उत्साह देखने को मिल रहा है। हाथों में तिरंगा है। लोग शान से आगे बढ़ रहे हैं। अयोध्या विवाद का मसला हल होना चाहिए ही था, जो कल हो गया। इस शहर की फिजां में गंगा-जमुनी तहजीब है। जिसे बदनाम नहीं होने दिया जाएगा।
कल से बढ़ा दी गई फोर्स: एसपी एस माधव
सड़कों पर फूल माला, साड़ी, मिठाई, कचौड़ी, इडली आदि दुकानें रोज की तरह आज भी खुली थीं। विश्वनाथ मंदिर एसपी एस माधव कहते हैं कि, काशी विश्वनाथ मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था जोनवार बांटी गई है। पीएसी, पुलिस, पैरामिलिट्री, एलआईयू, इंटेजीजेन्स मल्टी कोआर्डिनेशन में है। फोर्स कल से ही बढ़ी है।

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि
शनिवार और रविवार को मथुरा में आमतौर पर भीड़ रहती है। अयोध्या पर आए फैसले के बावजूद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ा। भगवान श्रीकृष्ण की जन्म स्थली पर दर्शन करने वालों की भीड़ सुबह से ही लगी रही। यहां प्रशासन ने सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए हुए थे। इसी तरह द्वारिकाधीश मंदिर और विश्राम घाट पर भी श्रद्धालुओं ने पहुंचकर पूजा की।दिल्ली से घूमने आए दिलीप कहते हैं कि मैं दो दिनों से मथुरा में हूं लेकिन अयोध्या फैसले को लेकर मुझे कोई यहां असर नही दिखा। हर जगह की तरह यहां भी बस हर जगह फोर्स है लेकिन कोई ऐसी सख्ती नही दिखी। दर्शन पूजन और बाजार आराम से हुआ।
बांके बिहारी वृंदावन
बांके बिहारी सहित वृंदावन के तमाम मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना जाना लगा रहा। सुबह श्रंगार आरती के समय बांके बिहारी मंदिर परिसर में पैर रखने के लिए भी जगह नहीं थी। आरती के बाद यहां बांके बिहारी के जयकारे गूंजे। दोपहर में शयन आरती के समय भी यही स्थिति रही।
गोवर्धन
एकादशी से पूर्णिमा के दौरान गिरिराज गोवर्धन की परिक्रमा का विशेष महत्व होता है। शुक्रवार को एकादशी थी और मंगलवार को पूर्णिमा है। शनिवार को अयोध्या केस का फैसला आने से पहले से ही गिरिराज जी की परिक्रमा करने के लिए लोग पहुंचने लगे थे, यह क्रम रविवार को भी जारी रहा। श्रद्धालुओं की भीड़ रहने के कारण यहां का बाजार भी खुला रहा।
धूमधाम से निकला बारावफात का जुलूस
अयोध्या केस का फैसला आने के कारण पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू है। मथुरा में इसका असर बारावफात का जुलूस पर नहीं पड़ा। मुस्तैद सुरक्षा व्यवस्था के बीच बारावफात का जुलूस धूमधाम से निकला। गाजे-बाजे के साथ निकले जुलूस का स्वागत सभी समाज के लोगों करके सौहार्द का संदेश दिया।
शाही मस्जिद के बाहर भी सामान्य है माहौल
शाही मस्जिद के सामने फर्नीचर की दुकान चलाने वाले रियाजुद्दीन राजू का कहते हैं साहब यहां तो हर दिन हमारे लिए बराबर है। अयोध्या पर फैसला आया यह अच्छी बात है। अब मुल्क अमन के रास्ते पर बढ़ेगा इससे बेहतर और क्या चाहिए। उन्होंने कहा कि हम लोगों ने कल ही अपने हिन्दू दोस्तों को मिठाई खिलाकर बधाई दी है] बाकी मथुरा में सब ठीक है।

गंगा-जमुनी तहजीब की चासनी में डूबी काशी-मथुरा; भोले के डमरू और कान्हा की वंशी से प्रेम रस की बारिश
काशी विश्वनाथ मंदिर के पास श्रद्धालुओं की कतार तो बारावफात के जुलूस में शामिल लोग।
गंगा-जमुनी तहजीब की चासनी में डूबी काशी-मथुरा; भोले के डमरू और कान्हा की वंशी से प्रेम रस की बारिश



source https://www.bhaskar.com

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