कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी के बीच पाक महीना रमजान जारी है। इस बीच दीनी तालीम के सबसे बड़े मरकज दारुल उलूम देवबंद ने एक महत्वपूर्ण फतवा जारी किया है। फतवे में कहा गया है कि, रोजे की हालत में कोरोनावायरस (कोविड-19) का टेस्ट कराना जायज है।
शंकाओं का समाधान करते हुए फतवे में कहा गया किजांच के दौरान स्टिक पर कोई केमिकल नहीं लगा होता है। इसलिए कोरोना का टेस्ट कराने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
दरअसल, इस बात कोरोना संकट काल में माह-ए-रमजान शुरू हुआ है। मुस्लिम धर्मावलंबी 30 दिन रोजा रखते हैं। रोजे के दौरान टेस्ट कराने को लेकर कई तरह की आशंकाएं लोगों के मन में उमड़ रही हैं।
इसी बीच बिजनौर के रहने वाले अरशद अली ने दारुल उलूम देवबंद से लिखित सवाल किया थाकि, क्या रोजेदारों का टेस्ट करवाना जायज है? इससे कहीं रोजा तो टूट नहीं जाएगा?
इस सवाल के जवाब में दारुल उलूम देवबंद के मुफ्तियों की खंडपीठ ने फतवे में कहा कि कोरोना टेस्ट के दौरान नाक या हलक (मुंह) में रुई लगी स्टिक डाली जाती है। उस स्टिक पर किसी तरह की कोई दवा या केमिकल नहीं लगा होता है।
यह स्टिक नाक या मुंह में सिर्फ एक बार ही डाली जाती है। ऐसे में रोजे की हालत में कोरोनावायरस का टेस्ट कराने के लिए नाक या हलक का गीला अंश देना जायज है। ऐसा करने से रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश में 1993 संक्रमित, इसमें से 1089 जमाती
उत्तर प्रदेश में अब तक संक्रमण के1993 मामले सामने आ चुके हैं।इनमें से 1089 लोग तब्लीगी जमात से जुडे़ हुए हैं। संक्रमण से अब तक 33 की जान जा चुकी है।
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