रिश्तेदार की तबीयत खराब होने के बाद भी बनर्जी घर नहीं गए,
मोहन बागान और ईस्ट बंगाल से भी नहीं खेले
फुटबॉल खिलाड़ी पीके बनर्जी का शुक्रवार को 83 साल की उम्र में निधन हो गया। स्ट्राइकर बनर्जी 1962 एशियन गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट टीम में शामिल थे।फीफा ने उन्हें 20वीं शताब्दी का भारत का सबसे महान फुटबॉल खिलाड़ी घोषित किया और 2004 में उन्हें ऑर्डर ऑफ मेरिट दिया।
10 साल तक नेशनल कोच रहे बनर्जी 1999 में भारतीय टीम के टेक्नीकल डायरेक्टर थे। 1 मई को सैफ कप फाइनल के पहले कोलकाता में रह रहे उनके एक रिश्तेदार की तबीयत खराब होने के बारे में जानकारी मिली।
डॉक्टर ने रिश्तेदार को मुंबई जानकार कैंसर का टेस्ट कराने के लिए। लेकिन बनर्जी घर नहीं गए और कमरे में रोते रहे। टीम ने फाइनल मैच भी जीता। बाद में वे रिश्तेदार से मिलने गए।
1960 ओलिंपिक में फ्रांस के खिलाफ गोल भी किया
23 जून 1936 को जलपाईगुड़ी में जन्मे बनर्जी बंटवारे के बाद जमशेदपुर आ गए थे। उन्होंने फुटबॉल यहीं से खेलना शुरू किया। बनर्जी ने भारत के लिए 84 मैच में 65 गोल किए थे।1952 में 16 साल की उम्र में बिहार की ओर संतोष ट्रॉफी में डेब्यू किया।वे 1956 के मेलबर्न ओलिंपिक खेलने वाली भारतीय टीम के भी सदस्य थे। तब भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 4-1 से हराया था और वह चौथे स्थान पर रही थी। उन्होंने 1960 के रोम ओलिंपिक में भारत की कप्तानी की थी।
तब फ्रांस के खिलाफ 1-1 से ड्रॉ रहे मैच में बनर्जी ने भारत की तरफ से बराबरी का गोल दागा था। 1967 में इन्होंने संन्यास लिया। बतौर कोच उन्होंने 54 ट्रॉफी भी जीतीं।
पीके बनर्जी ईस्टर्न रेलवे की तरफ से खेलते थे
उन्हें 1961 में अर्जुन अवॉर्ड और 1990 में पद्मश्री दिया गया। उनकी दो बेटी पाउला और पूर्णा शिक्षाविद् हैं। 1977 में माेहन बागान और न्यूयॉर्क कॉस्मोस का प्रदर्शनी मैच 2-2 से ड्रॉ रहा था। इस मैच में पेले भी उतरे थे। बनर्जी इस दौरान मोहन बागान के कोच थे। हालांकि वे मोहन बागान और ईस्ट बंगाल से कभी नहीं खेले। वे ईस्टर्न रेलवे से खेलते थे।https://ift.tt/2xhg2Qd
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