वीरशैव महाकुंभ में शामिल होंगे पीएम मोदी
सिद्धान्तशिखामणि ग्रंथ का लोकार्पण करेंगे

उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक नगरी वाराणसी में स्थित जंगमबाड़ी मठ में 15 जनवरी से 21 फरवरी के बीच श्री जगदगुरु गुरुकुल शतमानोत्सव एवं वीरशैव महाकुंभ का आयोजन किया जाएगा।
खास बात यह है कि इस कार्यक्रम में शामिल होने पीएम मोदी भी आएंगे। मोदी 16 फरवरी को यहां सिद्धान्तशिखमणि ग्रंथ का लोकार्पण करेंगे।
सिद्धान्तशिखामणि ग्रंथ का 19 भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इससे जुड़े एक मोबाइल ऐप को भी वह लांच करेंगे।
जंगमबाड़ी मठ के महंत श्री जगदगुरु डा चंद्रशेखर शिवाचार्य महास्वामी जी ने इसकी मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी 16 फरवरी को कार्यक्रम में भाग लेने आएंगे। इसके लिए दिल्ली में उनसे मुलाकात कर उनको निमंत्रण पत्र दे दिया गया है। उसी दिन कर्नाटक के सीएम वीएस येदुरप्पा भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने आएंगे।
मोदी के अलावा वीरशैव महाकुंभ में आएंगी कई हस्तियां
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा इस कार्यक्रम में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ 18 जनवरी को रहेंगे जबकि रेल राज्यमंत्री सुरेश अगड़ी 16 जनवरी को इस महाकुंभ में शामिल होने आएंगे। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी 16 फरवरी को यहां मौजूद रहेंगे। वहीं इस महाकुंभ में दिल्ली, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, चेन्नई, उड़ीसा, तमिलनाडुसमेत कई जगहों से भक्त शामिल होने आएंगे।100 वर्ष पहले हुई थी वीरशैव महाकुंभ की शुरूआत
आज से 100 वर्ष पहले तत्कालीन 82वें ज्ञान सिंहासन पीठाधीश्वर 1008 शिवलिंग शिवाचार्य महास्वामी जी ने जगदगुरु विश्राराध्यम गुरुकुलम की यहां स्थापना की थी। उसी समय यहां पहली बार वीरशैव महाकुंभ का आयोजन किया गया था। सौभाग्यवश पवित्र संकल्पों का शतमानोउत्सव 86वें जगदगुरु 1008 डां चंद्रशेखर शिवाचार्य महास्वामी जी के आचार्यत्व में 15 जनवरी मकरसंक्रांति से 21 फरवरी महाशिवरात्रि तक इसका आयोजन किया जाएगा।इस कार्यक्रम का शुभारम्भ गंगा स्नान 15 जनवरी से होगा। इसमें उज्जयिनी के जगदगुरु सिद्धलिंगराज शिवाचार्य जी भी शामिल होंगे।16 जनवरी को आंध्र तेलंगाना प्रदेश के मठ के प्राचीन विद्यार्थियों का स्मरनउत्सव आयोजित किया जाएगा। इस महाकुंभ में 27 जनवरी को अखण्ड पारायण का आयोजन होगा। 8 फरवरी को मराठी वीरशैव साहित्य सम्मेलन आयोजित किया जाएगा तथा 21 तारीख तक अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
शिवभक्ति परम्परा से बंधा होता है वीरशैव धर्म
दरअसल, वीरशैव धर्म एक ऐसी परम्परा है जिसमें भक्त शिव परम्परा से बंधाहोता है। यह दक्षिण भारत में बहुत लोकप्रियहै। ये वेदों पर आधारित धर्म है और भारत का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है पर इसके ज़्यादातर उपासक कर्नाटक में हैं और भारत का दक्षिण राज्यों महाराष्ट्र, आंद्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु में वीरशैव उपासकहैं।source https://www.bhaskar.com
No comments:
Post a Comment