
नसीरुद्दीन समेत 100 मुस्लिम हस्तियों की अपील- पुनर्विचार याचिका न लगाएं
बॉलीवुड डेस्क. अलग-अलग क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले करीब 100 मुसलमानों ने अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का विरोध किया है। सभी ने एक बयान पर साझा रूप से हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें कहा गया है कि पुनर्विचार याचिका से मुस्लिमों का फायदा होने की बजाय नुकसान ही होगा। हस्ताक्षरकर्ताओं में मुंबई बेस्ड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, अभिनेत्री शबाना आजमी, पत्रकार जावेद अहमद, हैदराबाद बेस्ड सामाजिक कार्यकर्ता आरिज अहमद, चेन्नई बेस्ड वकील ए जे जवाद और मुंबई बेस्ड राइटर अंजुम राजाबली जैसी हस्तियां शामिल हैं।
कोर्ट के फैसले को माना त्रुटिपूर्ण
हस्ताक्षरकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को त्रुटिपूर्ण माना है। उन्होंने अपने बयान में लिखा है कि भारतीय मुस्लिम समुदाय, संविधान विशेषज्ञ और धर्मनिरपेक्ष संस्थान इस बात से नाखुश हैं कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला सुनाते वक्त कानून की बजाय विश्वास को ऊपर रखा। सभी ने कोर्ट के फैसले को त्रुटिपूर्ण बताए जाने पर भी सहमति जताई है। लेकिन आगे यह भी कहा कि अगर इस मुद्दे को जीवित रखा जाता है तो मुस्लिम समुदाय को नुकसान ही उठाना पड़ेगा।
9 नवंबर को आया था फैसला
9 नवंबर को देश की शीर्ष अदालत ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन राम लला की है। पांच जजों (मुख्य न्यायाधीश रंजन गागोई, न्यायाधीश अरविंद बोबड़े, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायाधीश अब्दुल नजीर) की बैंच ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश सरकार को दिया था। जहां पूरे देश ने फैसले का स्वागत किया था। वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-ए-हिंद ने देश की सबसे बड़ी अदालत के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया है।
source https://www.bhaskar.com
कोर्ट के फैसले को माना त्रुटिपूर्ण
हस्ताक्षरकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को त्रुटिपूर्ण माना है। उन्होंने अपने बयान में लिखा है कि भारतीय मुस्लिम समुदाय, संविधान विशेषज्ञ और धर्मनिरपेक्ष संस्थान इस बात से नाखुश हैं कि देश की सबसे बड़ी अदालत ने फैसला सुनाते वक्त कानून की बजाय विश्वास को ऊपर रखा। सभी ने कोर्ट के फैसले को त्रुटिपूर्ण बताए जाने पर भी सहमति जताई है। लेकिन आगे यह भी कहा कि अगर इस मुद्दे को जीवित रखा जाता है तो मुस्लिम समुदाय को नुकसान ही उठाना पड़ेगा।
9 नवंबर को आया था फैसला
9 नवंबर को देश की शीर्ष अदालत ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन राम लला की है। पांच जजों (मुख्य न्यायाधीश रंजन गागोई, न्यायाधीश अरविंद बोबड़े, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायाधीश अब्दुल नजीर) की बैंच ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश सरकार को दिया था। जहां पूरे देश ने फैसले का स्वागत किया था। वहीं, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत-ए-हिंद ने देश की सबसे बड़ी अदालत के इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया है।
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