
अयोध्या. सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संविधान पीठ शनिवार को अयोध्या विवाद पर फैसला सुनाएगी। फैसला जो भी हो, इस देश का सद्भाव नहीं टूटेगा। सौहार्दबना रहे, इसके लिए दैनिकभास्कर ने रामलला के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास और शहर काजी मुफ्ती शमशुल कमरके जरिए अमन का पैगाम देने की पहल की है। दोनों के साथविजय उपाध्याय नेबातचीत की, इसके मुख्य अंश -
अयोध्याशांति का शहरहै: पुजारी सत्येंद्र दास
भास्कर:आपने अयोध्या का इतना इतिहास देखा है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किस तरह देखते हैं?
पुजारी: कोर्ट के आदेश का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है, जो कोर्ट का आदेश आएगा सबको मान्य होगा। मुझे भी मान्य होगा। यह शहर शांति और सौहार्द का है। एक बार फिर यह शहर ऐसा करेगा दिखाएगा
भास्कर:दूसरे पक्ष के कुछ लोगों ने सद् भावना संदेश के तहत कहा है कि जमीन मंदिर के लिए दे देना चाहिए?
पुजारी: ये बात पहले कही जाती तो और अच्छा होता। हम तो मस्जिद के लिए मठ और अखाड़े जमीन दे रहे थे। अब कोर्ट जो कहेगा, वही मानेंगे।
भास्कर:विवादित स्थल की घेराबंदी कब हुई?
पुजारी: 9 दिसंबर 1992 को तड़के 3 बजे, सीआरपीएफ के जवानों ने घेराबंदी कर ली। दो पुजारियों समेत वहां से सबको हटा दिया। कर्फ्यू घोषित हो गया। मैंने क्षेत्र के अधिकारियों से बात की, उन्होंने दो सिपाहियों के साथ मुझे अस्थायी मंदिर तक पहुंचाया। सीआरपीएफ के जवानों ने अपने ढंग से आरती कर दी थी। मैंने रामलला का श्रृंगार और पूजन करके फिर आरती की।
भास्कर:अयोध्या के लोगों के लिए क्या कहेंगे?
पुजारी: यही कि जो फैसला आए, उसे सहर्ष स्वीकार करें और एक बार फिर मिसाल कायम करें।
भास्कर:फैसले के बाद आप केंद्र सरकार से क्या चाहते हैं?
पुजारी: इसके बारे में फैसला आने के बाद ही कोई बात की जाएगी। सरकार भी कोर्ट के फैसले के बाद अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करे।
भास्कर:1992 में रामलला का सिंहासन कहां था, पहली पूजा किस तरह की?
पुजारी: रामलला की पूजा 1949 से वहीं हो रही थी। पूजा बीच वाले गुंबद में होती थी। घटना वाले दिन कारसेवकों और पुजारियों के साथ हमने रामलला का सिंहासन बाहर निकाल लिया। 7 बजे तक मलबा हट गया, चबूतरा भी बन गया। 8 बजे रामलला अपने स्थान पर वापस आ गए। मैंने रामलला का अभिषेक करने के बाद आरती की।
पूरा मुल्क गंगा-जमुनी तहजीब का है: शहरकाजी
भास्कर:सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सद् भाव बना रहे, सभी चाहते हैं। आप इसे किस रूप में देखते हैं?
शहर काजी:ये मामला खाली अयोध्या का नहीं है, ये पूरे मुल्क का है। मुल्क की सबसे बड़ी अदालत में चल रहा है। इसमें कोर्ट की इज्जत का सवाल है। अदालत की इज्जत तभी है, जब उसके फैसले का पालन किया जाए। हमारा वतन गंगा-जमुनी तहजीब का है, इसी में चैन व सुकून है।
भास्कर:फैसले के बाद सब ठीक होगा?
शहर काजी:कोशिश करना सभी की जिम्मेदारी है। उस घटना से तकलीफ हुई। अब हमें अदालत के फैसले का इंतजार करना होगा।
भास्कर:फैसले के बाद भाईचारे की बात आगे बढ़ेगी?
शहर काजी:प्रयास यही है, भाईचारा खराब न हो। हमारी प्रशासन से बात हुई। शांति कायम रहेगी।
भास्कर:शुक्रवार को नमाज के बाद कोई संदेश दिया गया?
शहर काजी:यह जमीन हमारी है, जमीन को खूबसूरत बनाना हमारी जिम्मेदारी है। मजहब के दायरे में रह कर जो कर सकते है, इसके लिए करेंगे।
भास्कर:आपको क्या लगता है कि सियासत थम जाएगी?
शहर काजी:सियासत करने वाले सियासत करने के लिए बहुत सारे दांव-पेंच करते रहते हैं। ये मामला खत्म होगा, कोई दूसरा उठा देंगें। मैं राजनीतिक बात नहीं करना चाहता।
भास्कर:फैसले के बाद देश को कैसे आगे ले जाना चाहते हैं?
शहर काजी:राजनीतिक लोगों से इतना ही कहना है कि धार्मिक स्थल को सियासत का हिस्सा न बनाएं।
भास्कर:राजनीतिक हालात बदले, धर्मगुरु के नाते आप इसे किस रूप में देखते हैं?
शहर काजी:मैंने पहले ही कहा कि किसी की भी कोई चीज जाएगी तो उसके जाने पर कसक और आरजू बाकी रहेगी। घटना को तो भुलाया नहीं जा सकता। लेकिन अब अदालत का फैसला आ जाने के बाद हमें अपने वतन की सुरक्षा और तरक्की के लिए ध्यान रखना होगा कि किसी भी स्थिति में दुनिया में अपने मुल्क की छवि खराब न हो।
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source https://www.bhaskar.com/national/news/ayodhya-case-priest-satyendra-das-and-city-qazi-shamshul-qamar-appeal-for-peace-01682641.html
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