Featured Posts

Breaking

Friday, 8 November 2019

200 साल पहले विवाद सामने आया, तीन अदालतों में 134 साल तक इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई

200 साल पहले विवाद सामने आया, तीन अदालतों में 134 साल तक इससे जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई
नई दिल्ली. हिंदू संगठनों ने 1813 में पहली बार बाबरी मस्जिद पर दावा किया था। उनका दावा है कि अयोध्या में राम मंदिर तोड़कर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी। इसके 72 साल बाद यह मामला पहली बार किसी अदालत में पहुंचा। महंत रघुबर दास ने 1885 में राम चबूतरे पर छतरी लगाने की याचिका लगाई थी, जिसे फैजाबाद की जिला अदालत ने ठुकरा दिया था। 134 साल से तीन अदालतों में इस विवाद से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
अयोध्या का शाब्दिक अर्थ अजेय है। अयोध्या पहले वैष्णव उपासना का केंद्र रही। पांचवीं शताब्दी में यहां गुप्त वंश का राज रहा। सातवीं शताब्दी में यह नगर निर्जन हो गया। अयोध्या का संबंध राम के आख्यान और सूर्यवंश से है।
  1. इतिहासकारों के इस पर अलग-अलग मत हैं। ज्यादातर इतिहासकारों के मुताबिक, जहीर उद-दीन मोहम्मद बाबर पानीपत के पहले युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराकर भारत आया था। उसके कहने पर एक सूबेदार मीर बाकी ने 1528 में अयोध्या में मस्जिद बनाई। इसे बाबरी मस्जिद नाम दिया गया। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इब्राहिम लोदी के शासनकाल (1517-23 ईस्वी) में ही मस्जिद बन गई थी। इसे लेकर मस्जिद में एक शिलालेख भी था, जिसका जिक्र एक ब्रिटिश अफसर ए फ्यूहरर ने कई जगह किया है। फ्यूहरर के मुताबिक, 1889 तक यह शिलालेख बाबरी मस्जिद में था।
  2. 1813 में पहली बार हिंदू संगठनों ने दावा किया कि 1528 में बाबर ने राम मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई। माना जाता है कि फैजाबाद के अंग्रेज अधिकारियों ने मस्जिद में हिंदू मंदिर जैसी कलाकृतियां मिलने का जिक्र अपनी रिपोर्ट में किया, उसी के बाद यह दावा किया गया। पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल ने अपनी किताब ‘अयोध्या रिविजिटेड’ में इस वाकये का जिक्र करते हुए लिखा है कि 1813 में मस्जिद की शिलालेख के साथ जब छेड़छाड़ हुई, तब से यह कहा जाने लगा कि मीर बाकी ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई। कुणाल ने किताब में लिखा है कि मंदिर 1528 में नहीं तोड़ा गया, बल्कि औरंगजेब द्वारा नियुक्त फिदायी खान ने 1660 में उसे तोड़ा था।
  3. हिंदुओं के दावे के बाद से विवादित जमीन पर नमाज के साथ-साथ पूजा भी होने लगी। 1853 में अवध के नवाब वाजिद अली शाह के समय पहली बार अयोध्या में साम्प्रदायिक हिंसा भड़की। इसके बाद भी 1855 तक दोनों पक्ष एक ही स्थान पर पूजा और नमाज अदा करते रहे। 1855 के बाद मुस्लिमों को मस्जिद में प्रवेश की इजाजत मिली, लेकिन हिंदुओं को अंदर जाने की मनाही थी। ऐसे में हिंदुओं ने मस्जिद के मुख्य गुम्बद से 150 फीट दूर बनाए राम चबूतरे पर पूजा शुरू की। 1859 में ब्रिटिश सरकार ने विवादित जगह पर तार की बाड़ लगवाई। 1855 से 1885 तक फैजाबाद के अंग्रेज अफसरों के रिकॉर्ड में मुस्लिमों द्वारा विवादित जमीन पर हिंदुओं की गतिविधियां बढ़ने की कई शिकायतें मिली हैं।
    • 1885 : पहली बार मामले को न्यायालय में उठाया गया। फैजाबाद की जिला अदालत में महंत रघुबर दास ने राम चबूतरे पर छतरी लगाने की अर्जी लगाई, जिसे ठुकरा दिया गया।
    • 1934 : अयोध्या में दंगे भड़के। बाबरी मस्जिद का कुछ हिस्सा तोड़ दिया गया। विवादित स्थल पर नमाज बंद हुई।
    • 1949 : मुस्लिम पक्ष का दावा है कि बाबरी मस्जिद में केंद्रीय गुम्बद के नीचे हिंदुओं ने रामलला की मूर्ति स्थापित कर दी। इसके 7 दिन बाद ही फैजाबाद कोर्ट ने बाबरी मस्जिद को विवादित भूमि घोषित किया और इसके मुख्य दरवाजे पर ताला लगा दिया गया।
    • 1950 : हिंदू महासभा के वकील गोपाल विशारद ने फैजाबाद जिला अदालत में अर्जी दाखिल कर रामलला की मूर्ति की पूजा का अधिकार देने की मांग की।
    • 1959 : निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल पर मालिकाना हक जताया।
    • 1961 : सुन्नी वक्फ बोर्ड (सेंट्रल) ने मूर्ति स्थापित किए जाने के खिलाफ कोर्ट में अर्जी लगाई और मस्जिद व आसपास की जमीन पर अपना हक जताया।
    • 1986 : फैजाबाद कोर्ट ने बाबरी मस्जिद का ताला खोलने का आदेश दिया।
    • 1987 : फैजाबाद जिला अदालत से पूरा मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट को ट्रांसफर कर दिया गया।
  4. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 1989 में विवादित स्थल पर यथास्थिति बरकरार रखने को कहा। इस बीच 1992 में हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर विवादित ढांचा ढहा दिया। इस मामले पर अलग से सुनवाई चल रही है। 10 साल बाद यानी 2002 से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवादित ढांचे वाली जमीन के मालिकाना हक को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की और 2010 में इस पर फैसला सुनाया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2:1 से फैसला दिया और विवादित स्थल को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन हिस्सों में बराबर बांट दिया।

  5. 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में इस विवाद से जुड़ी सभी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की। 6 अगस्त 2019 से सुप्रीम कोर्ट में इस विवाद पर लगातार 40 दिन तक सुनवाई हुई। 16 अक्टूबर 2019 को हिंदू-मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।


      Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
      Ayodhya Ram Mandir; History and Facts Updates On Ram Janmabhoomi-Babri Masjid land dispute case in Ayodhya


      source https://www.bhaskar.com/national/news/ayodhya-ram-mandir-ram-janmabhoomi-babri-masjid-land-dispute-case-history-01682581.html

No comments:

Post a Comment

आप  https://www.muchtoknow.in   पर जाकर सभी समाचार देख तथा पढ़ सकते हैं I