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Sunday, 20 October 2019

पिता-पुत्र 6 साल से राम के जीवन से जुड़ी मूर्तियां बना रहे; कई किताबें पढ़ीं, धार्मिक स्थलों पर भी गए


अयोध्या से रवि श्रीवास्तव.अयोध्या में विवादित स्थल से करीब 5 किमी दूर हनुमानगढ़ी के पास रामसेवकपुरम में रामायण के दृश्यों से जुड़ी मूर्तियां बनाई जा रही हैं। येमूर्तियां राम मंदिर के लिए विश्व हिंदू परिषद (विहिप) तैयार करवा रहा है। इन्हें मूर्तिकार रंजीत मंडल बना रहे हैं। उनका सहयोग उनके पिता नारायण मंडल करते हैं। पिता-पुत्र पिछले 6 साल से इस काम में लगे हुए हैं।
रंजीत बताते हैं, ‘‘विहिप के नेताओं ने मुझसे कहा कि राम मंदिर परिसर के लिए भगवान राम के जीवन से जुड़े दृश्यों कीमूर्तियां चाहते हैं। इसके बाद रिसर्च करने के लिए मैंने रामचरितमानस, रामायण और तस्वीरों वाली धार्मिक किताबों का अध्ययन किया।’’मूर्तियों में जीवंतता लाने के लिए रंजीत ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु़ में भगवान राम से जुड़े हुए धार्मिक स्थलों की यात्रा की। इन स्थलों पर काफी वक्त गुजारा। फिर वापस अयोध्या आकर मूर्तियां बनाना शुरू किया।
मूर्तियों के माध्यम से रामायण के दृश्य बता रहे
रंजीत बताते हैं कि मूर्तियों के माध्यम से रामायण का कोई एक दृश्य बनाया जाता है। ऐसे में इन्हें बनाने में वक्त लगता है। अब तक करीब 40 मूर्तियां बन चुकी हैं। 60 से ज्यादा मूर्तियों को और बनाया जाएगा। इनका साइज 4 से 5 फीट के बीच है। मूर्तियों में बंगाल के पहनावे की झलक दिखेगी,जबकि फेस कटिंग उत्तर भारत के लोगों जैसी होगी।
रंजीत बताते हैं कि इससे देशभर से आए लोग मूर्तियों के साथ जुड़ाव महसूस करेंगे। काम पूरा होने में 4-5 साल का वक्त और लग सकता है। शुरू में कुछ लोगों ने रंजीत के काम पर सवाल उठाए,लेकिन अशोक सिंघल को रंजीत का काम पसंद आया। तब से वेयहीं काम कर रहे हैं।
मूर्तियां राम केपूरे जीवन को दर्शाएंगी
अयोध्या में विहिप के प्रवक्ता शरद शर्मा ने कहा कि राम के जन्म से लेकर लंका विजय और फिर अयोध्या वापसी तक के स्वरूपों को मूर्तियों के माध्यम से उकेरा जा रहा है। करीब 125 मूतियां बनाई जाएंगी। इन्हें एक तरह से प्रदर्शनी की तरह रखा जाएगा।
अशोक सिंघलने हुनर पहचाना था
असम से रहने वाले रंजीत ने फाइन आर्ट्स में एमए किया है। 1997 में रंजीत की मुलाकात विहिप के तत्कालीन अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल से असम में हुई। रंजीत बताते हैं कि सिलचर में उन्होंने व्यास जी की मूर्ति बनाई थी। इसे देखकर सिंघल काफी प्रभावित हुए। इसके बाद रंजीत को दिल्ली बुलाया। 1998 में रंजीत दिल्ली आए। यहां सिंघल ने उन्हें अयोध्या में रामकथा कुंज के लिए मूर्तियां बनाने की बात कही। रंजीत के मुताबिक, विहिप से जुड़ने के बाद उसके कई मंदिरों और कार्यालयों के लिए मूर्ति बनाई। दिल्ली में आरके पुरम में विहिप कार्यालय में लगी हनुमानजी की मूर्ति भी मैंने ही बनाई है।
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Ayodhya Ram Mandir: Assam Ranjit and His Father is making Lord Rama Sculpture in Ayodhya Ram Janmabhoomi
Ayodhya Ram Mandir: Assam Ranjit and His Father is making Lord Rama Sculpture in Ayodhya Ram Janmabhoomi
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source https://www.bhaskar.com

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